महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा सरकार पर एग्जिट पोल की मुहर

-बाल मुकुंद ओझा-

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी आजकल चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने लगे है। चुनावी सर्वे करने वाली विभिन्न संस्थाओं से मिलकर किये जाने वाले सर्वेक्षणों में मतदाताओं का मूड जानने का प्रयास कर सटीक आकलन किया जाता है। कई बार ये सर्वे वास्तविकता के नजदीक होते है तो कई बार फैल भी हो जाते है। लोकसभा चुनावों में खबरिया चैनलों का सर्वे काफी हद तक सही निकला है। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव का मतदान सोमवार को शाम को 6 बजे संपन्न होते ही खबरिया चैनलों में एग्जिट पोल की होड़ लग गई। अधिकतर न्यूज चैनलों ने एक बार फिर भाजपा नीत सरकार पर मुहर लगादी है। दूसरी तरफ सट्टा बाजार ने भी दोनों राज्यों में भाजपा सरकार की भविष्यवाणी करदी हैै। महाराष्ट्र की 288 और हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर वोट डाले गए। महाएग्जिट पोल में भाजपा की बम्पर जीत का दावा किया गया है। न्यूज चैनलों की बात करें तो एबीपी, आजतक, जी न्यूज न्यूज नेशन, न्यूज 24 चाणक्य, रिपब्लिक भारत, टोटल टीवी ,टीवी 9 भारत वर्ष, सुदर्शन न्यूज, इंडिया न्यूज, टाइम्स नाउ, न्यूज 18 आदि ने अपने एग्जिट पोल में महाराष्ट्र और हरियाणा में एक बार फिर भाजपा नीत एनडीए को स्पष्ट बहुमत का अपना आंकलन प्रस्तुत किया है। पोल ऑफ एग्जिट पोल्स में महाराष्ट्र में 220 से अधिक और हरियाणा में 70 से अधिक सीटें भाजपा और सहयोगियों को मिलने का आकलन प्रस्तुत किया है। चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में दोनों ही राज्यों में भाजपा की भारी जीत की घोषणा कर दी थी और सोमवार को चुनाव संपन्न होते ही अपने एग्जिट पोल में इस जीत पर अपनी मुहर लगा दी। दोनों राज्यों में सत्ताधारी दल ने प्रचार में अपना पूरा दमखम झोंक दिया। मुख्यमंत्रियों ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच पहुंचने का प्रयास किया। वहीं कांग्रेस लाख दावे करे, लेकिन धरातल पर उसकी गंभीरता नजर नहीं आई। महाराष्ट्र में एनसीपी के संस्थापक शरद पंवार ने अवश्य बड़ी संख्या में रैलिया कर मतदाताओं को अपने समर्थन में जुटाने का प्रयास किया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने दोनों राज्यों में रैलिया की मगर प्रियंका गांधी वाड्रा प्रचार से दूर रहीं। प्रियंका ने पूरे अभियान के दौरान एक भी रैली नहीं की। राहुल के भाषणों में कोई नयी बात नहीं थी। जबकि भाजपा धारा 370 को राष्ट्रवाद से जोड़ने में सफल रही। कांग्रेस की ओर से पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रचार अभियान की कमान संभाली। राहुल ने महाराष्ट्र और हरियाणा में कुल सात रैलियां कीं वहीं भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों राज्यों में 25 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। भाजपा की ओर से गृह मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दोनों राज्यों में कई रैलियां कीं। कांग्रेस ने आर्थिक मंदी को जोर शोर से उठाया। पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भी प्रचार अभियान में भाग लिया लेकिन वह अपनी सरकार की गलतियां स्वीकार कर पार्टी की विजय यात्रा को ही पंचर ज्यादा किया। यहाँ वीर सावरकर भी बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया। एग्जिट पोल की माने तो मतदाताओं ने हरियाणा में कांग्रेस घोषणा पत्र में महिलाओं को लुभाने के लिए सरकारी और निजी नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण सहित मुफ्त बिजली, हर जिले में सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल और विश्वविद्यालय जैसे वादों को पूरी तरह नकार दिया। चैधरी देवीलाल के बेटे और पोतों की पार्टियों को भी जनता ने स्वीकार नहीं किया। अभय और दुष्यंत चैटाला की पार्टियों की आपसी सिर फुटौव्वल उन्हें ले बैठी। अशोक तंवर का कांग्रेस छोड़ना भी कांग्रेस पर भारी पड़ा। भाजपा के सामने छितराया और खंड खंड विपक्ष एक जूट भाजपा का मुकाबला नहीं कर पाया। महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के अनेक कद्दावर नेताओं के पार्टी छोड़ने से भी इन पार्टियों को धक्का लगा है। खबरिया चैनलों के एग्जिट पोल में कितना दम और सच्चाई है यह तो 24 अक्टूबर को होने वाली मतगणना से ही पता चलेगा।

This post has already been read 8049 times!

Sharing this

Related posts